tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post8651430999282807280..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: सबद विशेष : 19 : ज़बिग्नियव हर्बर्ट Unknownnoreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-11338320150227036382016-07-15T14:13:02.981+05:302016-07-15T14:13:02.981+05:30लाजवाब कवितायें और अनुवाद लाजवाब कवितायें और अनुवाद neerahttps://www.blogger.com/profile/16498659430893935458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-50400517970717203682016-07-08T15:37:39.478+05:302016-07-08T15:37:39.478+05:30निर्मल वर्मा याद आएनिर्मल वर्मा याद आएChandrakala Tripathinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-75985511175270583652016-07-08T15:34:05.986+05:302016-07-08T15:34:05.986+05:30हां, मूल्यवान..कविताएं और अनुवाद, दोनों।हां, मूल्यवान..कविताएं और अनुवाद, दोनों।शिरीष मौर्यnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-25385170181025351332016-07-08T15:32:41.797+05:302016-07-08T15:32:41.797+05:30मूल्यवानमूल्यवानAvinash Mishranoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-89558482312960607662016-06-08T17:10:03.846+05:302016-06-08T17:10:03.846+05:30सोच रही हूँ उस मेज़ को जिसके पास जाने की भी एक तहज़ी...सोच रही हूँ उस मेज़ को जिसके पास जाने की भी एक तहज़ीब है और तुमने बख़ूबी उस रवायत को निभाया, जिन्हें तुम्हारे जैसा संवेदनशील कवि ही पहचान पाता है। इसी तरह फंसी रहो इंद्रजाल में। बेजोड़ बन पड़ा है अनुवाद। अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-26677268390860946802016-06-08T14:24:48.435+05:302016-06-08T14:24:48.435+05:30बरसों से हेर्बेर्त हिंदी कवियों के कवि रहे हैं.मुझ...बरसों से हेर्बेर्त हिंदी कवियों के कवि रहे हैं.मुझ सहित कई लोगों ने बीस-पच्चीस साल पहले उनके अनुवाद किए थे.अब भी कोई-न-कोई उनके इंद्रजाल में फँस ही जाता है - वह कवि ही ऐसे हैं.उनकी राजनीति को लेकर कुछ विवाद भी याद आता है लेकिन उससे क्या - अंत में सिर्फ उनकी सार्थक कविता ही बचेगी.मेरे पास अभी यहाँ छिंदवाड़ा में उनके ''मूल अंग्रेज़ी''नहीं हैं लेकिन मोनिका कुमार का चुनाव और उनके अधिकांश श्रम- और बुद्धिसाध्य अत्यंत पठनीय अनुवाद हिंदी में हेर्बेर्त की मौजूदगी को कामयाबी से उम्रदराज़ी दे रहे हैं और एक नई पीढ़ी को,जो कुछ-कुछ मूर्ख और अज्ञानी भी है, उनसे मुखातिब कर रहे हैं.Noble coolies और अच्छे तर्जुमे यही सवाबी काम करते हैं.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/18139708644770350589noreply@blogger.com