tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post8026680140310717661..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: रूढि़यों की राजनीतिUnknownnoreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-6685951998189323792010-07-12T22:27:28.544+05:302010-07-12T22:27:28.544+05:30गीत चतुर्वेदी के दो कहानी संकलनों के लोकार्पण के अ...गीत चतुर्वेदी के दो कहानी संकलनों के लोकार्पण के अवसर पर वरिष्ठ कथाशिल्पी और पत्रकार पंकज बिष्ट के वक्तव्य पर अनुराग वत्स की प्रतिक्रिया पढ़ी.. किसी भी वक्ता के सार्वजनिक वत्तव्य पर श्रोता को अपनी समझ और ग्राह्यता के अनुसार अपनी असहमति, घोर असहमति यहाँ तक कि आपत्तिजनक लगने पर प्रतिवाद उठाने की पूरी आज़ादी होती है और इस आज़ादी का समर्थन किया जाना चाहिए. किन्तु, यहाँ इस बात की अनिवार्यता से इंकार नहीं किया जा सकता कि श्रोता की अभिव्यक्ति वैचारिक तर्कों और उदाहरणों से युक्त, संतुलित और सहज भाषा में हो, न कि मात्र एक फतवा भर, बिना कोई आधार बताए अभद्र अशिष्ट भाषा में. इन चारित्रिकताओं से भरी किसी भी श्रोता की प्रतिक्रिया उस की असहमति ज़ाहिर नहीं करती बल्कि यह ज़ाहिर करती है कि श्रोता नें वक्ता द्वारा संकेतित तथ्यों को असहनीय पाया है और वह उस से बौखला उठा है, ख़ास तौर पर यह भी कि इस थोथी बौखलाहट में वह अपनी संस्कारहीनता भी उजागर कर बैठा है. यह स्थिति प्रतिक्रिया देने वाले को निंदनीय से ज्यादा दयनीय बनाती है.. <br />अनुराग वत्स अपनी प्रतिक्रिया से बड़े फलक पर एक्सपोज़ हुए हैं. उनके साथ सहानुभूति की जा सकती है क्योंकि कि उनका कद और अनुभव का दायरा अभी बहुत छोटा है. यहाँ सीखने का पाठ गीत चतुर्वेदी के लिए है कि वह ऐसे बौने, विवेक रिक्त और बड़बोले तथाकथिक प्रशंसकों से बचें जिनकी कुल प्रबुद्ध पूंजी चाटुकारिता भर है, अन्यथा यह उनके लिए द्रुत यश अर्जित करने के बजाय छीछालेदर ही सामने लाएगा. निश्चित रूप से गीत चतुर्वेदी की रचनात्मक प्रतिभा उनके लिए जेनुइन पाठक और प्रशंसक जुटा सकती है. <br /> <br />अशोक गुप्ता <br /><br />Mobile 09871187875pakherunoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-13056278216028970572010-07-02T22:51:48.465+05:302010-07-02T22:51:48.465+05:30लोकतांत्रिक असहमति से किसे एतराज हो सकता है अनुराग...लोकतांत्रिक असहमति से किसे एतराज हो सकता है अनुराग। आपत्ति असहमति की भाषा और तरीके पर है। जैसे अभी इस लेख में आपने लिखा मक्कार गलती। गलती हो सकती है। यह मक्कार गलती क्या है। यह किस प्रकार की असहमति जता रहे हैं आप। क्या पंकज जी ने किसी खास तरह की वफादारी का उल्लंघन कर दिया है जिसके लिए आपको मक्कार गलती लिखना पड़ रहा है। खैर...आप स्वसंचालित शक्ति हैं और दुआ करूँगा कि यह शक्ति बरकरार रहे।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/09557000418276190534noreply@blogger.com