tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post7617977670999167948..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: अम्बर रंजना पाण्डेय की नई कविताएंUnknownnoreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-18047710208725461552012-06-29T16:25:38.029+05:302012-06-29T16:25:38.029+05:30यह तो अशोक वाजपेयी के ‘कामातुर भोर’ जैसा आवाहन है।...यह तो अशोक वाजपेयी के ‘कामातुर भोर’ जैसा आवाहन है। तथापि......ओम निश्चलhttps://www.blogger.com/profile/12809246384286227108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-20054036626534822962012-04-24T01:22:43.868+05:302012-04-24T01:22:43.868+05:30'कविता लिखना बहुत दूर की बात हो गयी है...
कवि...'कविता लिखना बहुत दूर की बात हो गयी है...<br /><br />कविता लिखने से पहले और लिखने के बाद, हमेशा, कविता लिखने को बहुत दूर की बात होना चाहिए. काश, सबके साथ ऐसा हो पाता, साहित्य के लिये 'साहित्य से निर्वासन' आवश्यक नहीं, अपरिहार्य होता. कवि अगर ऐसे लोगों से मिलकर - जो किसी दूसरी भाषा का आविष्कार कर लिया करते हैं - कविता लिखने से दूर जाता है, तो यह उसका अपना मौलिक-विशेष है. ऐसा कहा भी जाना चाहिए, किया भी जाना चाहिए. कविता हमेशा उपलब्ध से असहमत है, वह उपलब्ध भाषा है तो हो. और यह भी तय है कि कविता का समझा जाना अंततः होगा, भले ही वह चंद्र्बिन्दुओं की भाषा में लिखी गयी हो.<br /><br />कवि ने ऐसी दूसरी कविताओं का लिखा जाना अगर असंभव न कर दिया होता तो कुछ लोग इसी के आसपास ज़रूर कवितायें लिखते, जैसे मैं. इन्हें पढते हुए कविता के भीतर और बाहर की बहुत सी पंक्तियाँ गूंजने लगती हैं. यह एक अच्छी कविता की सबसे अच्छी बात है. वह अपनी-सी दूसरी कविताओं को जगाती है और उन्हें जगने भी नहीं देती.<br /><br />अंगूठे के स्वाद के लिये हमेशा कृतज्ञ रहना होगा. एक अच्छा बिम्ब कवि के जीवन लिये पर्याप्त होता है, संभवतः एजरा पाउंड ने कहा था, कविता का क़र्ज़ अदा हो गया है. कवि को दूर भी रहना पड़े कविता से तो कोई गम नहीं.व्योमेश शुक्लnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-70205265027256010952012-04-23T14:01:19.158+05:302012-04-23T14:01:19.158+05:30लाजवाब. तारीफ़ के लिए उपयुक्त शब्द की तलाश आगे भी ज...लाजवाब. तारीफ़ के लिए उपयुक्त शब्द की तलाश आगे भी जारी है.स्वातिnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-57580194276133881312012-04-21T10:51:34.592+05:302012-04-21T10:51:34.592+05:30sensuous , the body becomes the ground where words...sensuous , the body becomes the ground where words are seeds that birth into creepers of desire, yet they are not abstract really , they are animate and concrete .. not ephemeral and thankfully not sentimental ..i like the photo too though it is too much fitting in into ..that could have been more elusive in its contentPratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-82405815801058292662012-04-19T00:33:14.190+05:302012-04-19T00:33:14.190+05:30सुंदर, ऐंद्रिक और उत्तप्त... और हमेशा की तरह, एक...सुंदर, ऐंद्रिक और उत्तप्त... और हमेशा की तरह, एक अपूर्व क्लैसिकल आभा से युक्त। अंबर, आपकी कविताओं की प्रतीक्षा सदैव रहती है।<br /><br />'इससे अधिक नहीं लिख पाउँगा/जान लेना तुम मेरी दशा केवल चन्द्रबिन्दु पढ़कर.'Sushobhit Saktawathttps://www.blogger.com/profile/08781190787140508251noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-18302867134159979382012-04-18T23:13:23.611+05:302012-04-18T23:13:23.611+05:30अहा !
तुम्हारे पैर के अंगूठे का स्वाद तो मुझसे ज्य...अहा !<br />तुम्हारे पैर के अंगूठे का स्वाद तो मुझसे ज्यादा यह पृथ्वी भी नहीं जानती.<br /><br />ये तो झरना है. श.बाबुषाhttps://www.blogger.com/profile/05226082344574670411noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-51116581421878927572012-04-18T20:47:09.961+05:302012-04-18T20:47:09.961+05:30कुछ दिन पहले अशोक बाजपेयी ने कविता के बारे में कहा...कुछ दिन पहले अशोक बाजपेयी ने कविता के बारे में कहा था-अच्छी कविता वही है जिसमें भाषा वहाँ तक जाये जहाँ पहले न गयी हो.अम्बर रंजना पाण्डेय की कविताएं कम से कम इस कसौटी पर तो खरी उतरती हैं.ये गद्यात्मक होते हुए भी काव्यात्मक प्रवाहयुक्त हैं.पहली कविता में भाषा को प्रेम की अभिव्यक्ति में असमर्थ बताया गया है.दूसरी और तीसरी कविता में बॉडी लेंग्वेज को शब्दों में बखूबी ढाला गया है.चौंकाने और ध्यान आकर्षित करने वाली अलग रंग ढंग की कवितायेँ पढवाने के लिए आभार.sarita sharmahttps://www.blogger.com/profile/03668592277450161035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-23932753083707436272012-04-18T20:02:43.712+05:302012-04-18T20:02:43.712+05:30bahut hi sunder..
na poora dekh paana aur n jaan p...bahut hi sunder..<br />na poora dekh paana aur n jaan paana..gungunnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-14589285119245633232012-04-15T12:48:43.318+05:302012-04-15T12:48:43.318+05:30एक सर्वथा नया दृष्टिकोण..एक सर्वथा नया दृष्टिकोण..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-54155900430465109082012-04-14T22:30:07.695+05:302012-04-14T22:30:07.695+05:30समंदर के पानी की तरह नमकीन.समंदर के पानी की तरह नमकीन.दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMAhttps://www.blogger.com/profile/12486880239305153162noreply@blogger.com