tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post688659856268332605..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: कवि की संगत कविता के साथ : ९ : अरुण देवUnknownnoreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-67845032498162219422010-09-23T21:49:18.470+05:302010-09-23T21:49:18.470+05:30behtareen kavitayeen. jeeven ke kam mahtavpurna se...behtareen kavitayeen. jeeven ke kam mahtavpurna se dekhaee deene walee cheezo hee jeevan ka paani dundha hai arun jee neVipin Choudharyhttps://www.blogger.com/profile/05090451479975418329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-67326472475088771402010-09-22T10:28:03.417+05:302010-09-22T10:28:03.417+05:30अरुण जी, आपकी ये कविताऎं मेरी बेहद आत्मीय कविता कव...अरुण जी, आपकी ये कविताऎं मेरी बेहद आत्मीय कविता कविताऎं हो गई हैं. लालटेन, गोंद और कपास ने मुझे ज़्यादा प्रभावित किया. ताज़गी और जीवन की सान्द्रता से भरी हुई कविताऎं.Avanish Gautamhttps://www.blogger.com/profile/03737794502488533991noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-72524063259075537612010-09-21T19:48:45.003+05:302010-09-21T19:48:45.003+05:30kuch kitaben hoti hain bhari
itni moti
ki kholane ...kuch kitaben hoti hain bhari<br />itni moti<br />ki kholane se lagta hai dar<br /><br />Yaha to youn hi likha diya Bhai.Sach kahoon to apki kavtaon ne sochne ko kuch saman diya.Likhate rahen. Anek shubha kamanayen.Basanthttps://www.blogger.com/profile/15642125241765203051noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-75367642296491414962010-09-21T14:13:46.637+05:302010-09-21T14:13:46.637+05:30तबीयत खुश हो गई ये कवितायें पढ़ कर !
आप हमेशा ही बह...तबीयत खुश हो गई ये कवितायें पढ़ कर !<br />आप हमेशा ही बहुत सुन्दर और सधा हुआ लिखते हैंMahendra Mishrahttp://mishraosho.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-13425454275688074092010-09-17T17:05:18.669+05:302010-09-17T17:05:18.669+05:30अपने आसपास बिखरी चीजों जैसे 'लालटेन', '...अपने आसपास बिखरी चीजों जैसे 'लालटेन', 'गोंद', किताबें' पर उम्दा कविताएं...प्रदीप जिलवानेhttps://www.blogger.com/profile/08193021432011337278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-68622776771082114912010-09-15T23:24:01.099+05:302010-09-15T23:24:01.099+05:30एक-एक कृति अनमोल है . कई बार पढ़ा और जी नहीं भरा . ...एक-एक कृति अनमोल है . कई बार पढ़ा और जी नहीं भरा . कपास और लालटेन मन को छू गयीं . छोटे-छोटे विषय पर हर विषय एक ऐसे उद्रेक से गुज़रता हुआ कि विस्मय हो रहा था . पुस्तक पढ़कर बहुत कुछ याद आया - उत्तीर्ण होने के लिए रटना और फिर भूल जाना .. दूसरी ओर वह शाश्वत हाथ से गुज़ारना जिनकी लिखाई -छपाई आज भी ज्यों की त्यों मन में बैठी है. <br />सोचती हूँ ये उत्कृष्टता हमारे लेखन में आ भी पाएगी या यूँ ही व्यर्थ जाएगा समय ...अपर्णाhttps://www.blogger.com/profile/13934128996394669998noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-61683294515914205162010-09-15T19:23:42.920+05:302010-09-15T19:23:42.920+05:30अरुण जी साधुवाद !
... बस पड़ता ही रह गया और लगा की...अरुण जी साधुवाद !<br />... बस पड़ता ही रह गया और लगा की आपने सही कहा "कुछ एकांत की उदासी को भर देती हैं दोस्ती की उजास से"<br />सारी रचनाएँ बहुत ही सुन्दर है ; गोंद तो लाजवाब है और किताबें उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं <br />आप को ईश्वर ऐसे ही ज्ञान देता रहे और हम तक आप से आता रहे ... ज्ञान !<br />सादर <br />भरतBharathttps://www.blogger.com/profile/09488756087582034683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-14800558753806913082010-09-14T13:15:16.637+05:302010-09-14T13:15:16.637+05:30अरूण की कवितायें अपनी अर्थवत्ता से परे इसलिये भी अ...अरूण की कवितायें अपनी अर्थवत्ता से परे इसलिये भी अच्छी लगती हैं कि उनके बिम्ब नये होते हैं या कम परिचित. जैसे लालटेन’ कविता. (अँधेरे के पास विनम्र बैठी बतिया रही हो धीरे–धीरे... सयंम की आग में जैसे कोई युवा भिक्षुणी....). इसका जिक्र इसलिये भी कि बिम्ब या काव्यनुभूति ना होने से भाषा की मोटी चादर हटाने या प्याज छीलते चले जाने और अंतत: कुछ ना पाने का काम हमें दूसरे कवि सौपते हैं वह दु:खद एहसास अरूण की कविताओं से नहीं होता. अरूण की काव्य पंक्तियाँ याद रह जाती हैं.चन्दन पाण्डेयhttp://www.nayibaat.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-68505962835104959482010-09-14T07:15:41.797+05:302010-09-14T07:15:41.797+05:30कविताओं को *धर्म*( Religion) हाईजेक कर लेता है. वह...कविताओं को *धर्म*( Religion) हाईजेक कर लेता है. वह कविताओं की कुव्याख्याएं प्रतिपादित करता है. खुद को बचाने, और बढ़ाने के लिए. <br /><br />'उस का आना' अच्छी लगी.अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-52184215584290421902010-09-13T20:54:58.045+05:302010-09-13T20:54:58.045+05:30सभी कविताएं सुंदर लगीं। उससे भी सुंदर भूमिका लगी।सभी कविताएं सुंदर लगीं। उससे भी सुंदर भूमिका लगी।जगदीश्वर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/06417945584062444110noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-14691956621985981582010-09-13T14:57:10.776+05:302010-09-13T14:57:10.776+05:30mujhe to sab ki sab bahut hi pasand aayi...amazing...mujhe to sab ki sab bahut hi pasand aayi...amazing!Parul kananihttps://www.blogger.com/profile/11695549705449812626noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-4173987462536934822010-09-13T13:47:52.126+05:302010-09-13T13:47:52.126+05:30अरुन की कविताओं में जीवन का जो गहरा आस्वाद मिलता ह...अरुन की कविताओं में जीवन का जो गहरा आस्वाद मिलता है, वह अब बहुत कम जगहों पर मौजूद है. वे बिल्कुल उन्हीं की कविता की उन किताबों की तरह हैं, जो जीत लेती हैं काल को. असल में कवि तो अपने समय के भीतर ही खड़ा होकर रचता है पर रचते हुए वह वहीं नहीं रहता, वह समय में आगे चला जाता है. जो ऐसा नहीं कर पाता, वह काल को जीत नहीं सकता अपनी रचना में. ऐसी रचनाएं ही श्रेष्ठ बनती हैं, वही अपनी पहचान छोड़ जाती हैं, वही रह जाती हैं काल की गति के साथ. मैं नहीं कहता कि हर कविता में पर कई बार अरुन इस उड़ान में दिखायी पड़्ते हैं. सच कहूं तो यह ऐसी उड़ान होती है, जिसमें कवि के पांव जमीन से नहीं उठते पर उसकी आंखें समय के आर-पार देख लेती हैं. इन अच्छी रचनाओं के लिय अरुन को और उन्हें प्रस्तुत करने के लिये अनुराग जी को बधाई.डा सुभाष रायhttp://www.sakhikabira.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-17390119208873982342010-09-13T07:05:58.622+05:302010-09-13T07:05:58.622+05:30बहुत अच्छी कविताएँ हैं, पावरफुल और ताज़ा इमेजेज के...बहुत अच्छी कविताएँ हैं, पावरफुल और ताज़ा इमेजेज के साथ!! किताबें और क्या हैं सभ्यता के विकास के अलावा जहाँ हमें अपना ही अक्स दिखाई देता है. इमेजेज में एक गहरी अर्थ-संगति है.अनुराग मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/03059712458808938833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-15520093692733265202010-09-13T00:21:09.643+05:302010-09-13T00:21:09.643+05:30achhi kavitayen arun ji....uska aana behatar racha...achhi kavitayen arun ji....uska aana behatar rachana badhai....Mita Dashttps://www.blogger.com/profile/14458823983093144362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-54306006459305838662010-09-12T22:10:36.864+05:302010-09-12T22:10:36.864+05:30सारी की सारी उत्कृष्ट।सारी की सारी उत्कृष्ट।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com