tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post6607567845330849395..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: व्योमेश शुक्ल की नई कविता Unknownnoreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-18715122107242362422017-11-20T21:56:49.467+05:302017-11-20T21:56:49.467+05:30एक उम्दा कविता के लिए व्योमेश को बधाई! एक उम्दा कविता के लिए व्योमेश को बधाई! chandreshwarhttps://www.blogger.com/profile/05446614444785971426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-18889464129905807982016-04-07T18:35:43.473+05:302016-04-07T18:35:43.473+05:30अद्भुत कविता... उसी सायरन की तरह देर तक भीतर बजती ...अद्भुत कविता... उसी सायरन की तरह देर तक भीतर बजती हुई। व्योमेश को बहुत बहुत बधाई।Manojhttps://www.blogger.com/profile/14754629355835097765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-84777436314401779052016-04-06T08:05:03.616+05:302016-04-06T08:05:03.616+05:30लगातार पकती हुई रचनात्मक मेधा ,जिसके लिए चुनौती उस...लगातार पकती हुई रचनात्मक मेधा ,जिसके लिए चुनौती उसका अपना ही लिखा हुआ है ।व्योमेश आपको फौरी तरीके की बेचैनियों में नहीं छोड़ते ।आपको टिकना ही पड़ता उनकी कविताओं के साथ ।Chandrakala Tripathihttps://web.facebook.com/chandrakala.tripathi?fref=nf&pnref=storynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-71825767118021599802016-04-06T08:01:43.799+05:302016-04-06T08:01:43.799+05:30हाँ, है तो यह सायरन की ही पुरकश आवाज. बहुत खूब व्य...हाँ, है तो यह सायरन की ही पुरकश आवाज. बहुत खूब व्योमेश.Chaturved Arvindhttps://web.facebook.com/profile.php?id=100005697615327&fref=ufi&pnref=storynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-14134778740819990162016-04-06T07:59:09.349+05:302016-04-06T07:59:09.349+05:30//पिता, पंचवर्षीय योजना, पब्लिक सेक्टर, समूह, प्रो...//पिता, पंचवर्षीय योजना, पब्लिक सेक्टर, समूह, प्रोविडेंट फंड, ट्रेड यूनियन और हड़ताल – सब – सायरन के बजने की शुरूआत के बिंदु पर ही धड़ाम से पूरे हो जाते हैं//Arun Srihttps://web.facebook.com/arun.srivastava.52643?fref=ufi&pnref=storynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-76134690773886898992016-04-06T07:57:22.008+05:302016-04-06T07:57:22.008+05:30भैया मैं अक्सर कहता हूँ अब भी हिंदी की समकालीन कवि...भैया मैं अक्सर कहता हूँ अब भी हिंदी की समकालीन कविता को समझने के लिये व्याकरण की जरूरत है । व्योमेश भाई की यह कविता उस व्याकरण की आवश्यकता को बल देती है । एक जरूरत यह भी है कि समकालीन कविता पर समकालीनों द्वारा ही बात हो । गुजरात के चर्चित साहित्यकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित रचनाकार रघुबीर चौधरी ने कहा था कि कवियों के काव्य सृष्टि में पाठक को घुसना चाहिए । यह एक सामान्य पर अद्भुत वाक्य लगा था । और इस चुनौती को समकालीन लोग ही उठा सकते हैं ।Kumar Mangalamhttps://web.facebook.com/mangalam24?fref=ufi&pnref=storynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-45330452977768187662016-04-06T07:55:25.303+05:302016-04-06T07:55:25.303+05:30रंगमंच की समझ उनकी कविताओं की मूल संरचना में, थीम ...रंगमंच की समझ उनकी कविताओं की मूल संरचना में, थीम में काम करती है, इसीलिए व्योमेश की कविताओं में अक्सर संवाद, एकालाप और दृश्यमानता रहती है किंतु बहुत इनकंसिस्टेन्ट किस्म की ,कुछ गैप्स होते हैं जैसे प्ले में होते हैं, भावक को उसे अपनी कल्पना से भरना पड़ता है, यही कारण है कि व्योमेश कठिन कवि लगते हैं! पता नहीं क्यों कविता में जितना ऊंचा स्थान उन्हें अब तक मिल जाना चाहिए था, मिल नहीं पाया है, शायद हिंदी आलोचना भटक रही हो!Vindhyachal Yadavhttps://web.facebook.com/vindhyachal.yadav.182noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-26529359066941211252016-04-06T07:48:44.926+05:302016-04-06T07:48:44.926+05:30Vyomesh Shukla is a chaaampian. his poetry is a ch...Vyomesh Shukla is a chaaampian. his poetry is a chaaampian.<br /><br />बहुत अच्छी कविता। बधाई। अपनी इस कविता में पहले की तुलना में ज़रा निष्कवच हुए हैं और कविता खूब निखर कर आई है। आवाज एक जगह थी कहीं लेकिन इस कविता में आवाज की जगह को 'लोकेट' कर दिया गया है। या कहें तो, किया गया है। सबकी आवाज के साथ। पुन: बधाई।Chandan Pandeyhttps://web.facebook.com/chandan.pandey.18041?fref=nfnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-73907585349178112722016-04-05T15:23:31.547+05:302016-04-05T15:23:31.547+05:30प्रिय भैया,
नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ा।...प्रिय भैया, <br /><br />नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ा। लगभग चार साल बाद, आपकी एक कविता प्रकाशित हुई है। यह मेरे लिए भी उतनी ही तसल्ली और गहरी खुशी का मौका है, जितना आपके लिए।<br /><br />लेकिन यह अजब है कि यह अंतराल शिल्प के स्तर कोई बड़ा बदलाव लेकर नहीं आया है। जैसे कवि 'जस्ट टियर्स' पर ही ठहरा हुआ है। मैं प्रस्तुत कविता को दो बार पढ़ चुकने के बाद फिलहाल यह तय नहीं कर पा रहा हूं कि अच्छे-बुरे या इससे इतर इसे किस संदर्भ में रेखांकित करूं। अन्य दोस्त शायद इस मामले में कुछ काम आएं। <br /><br />शेष फिर <br /><br />आपका <br />अविनाशAvinash Mishrahttps://www.facebook.com/darasaldelhi?fref=ufi&pnref=storynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-22668669347366660562016-04-05T12:52:45.199+05:302016-04-05T12:52:45.199+05:30कविता और गद्य् के सम्मिश्रण का अनूठा प्रयोग। इसको ...कविता और गद्य् के सम्मिश्रण का अनूठा प्रयोग। इसको पूर्ण रूप से कविता नहीं कहा जा सकता। क्योंकि छंद मुक्त होने के बावजूद उसके कुछ अनिवार्य तत्व होते हैं जो किसी कविता को और ज़्यादा रस प्रदान करते हैं उदाहरण, संक्षिप्त वर्णन, या एक ही शब्द के एक बार से अधिक के प्रयोग से बचना। ये पूरी तरह से गद्य् भी नहीं है। इसे कविता और गद्य् का अनूठा,मगर रचनात्मक प्रयोग कहा जा सकता है। नई शिल्प के साथ एक अपनी सी पहल की अनुभूति लिए हुए एक प्रयोग।Shekhar Singhhttps://www.blogger.com/profile/12005417514281820351noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-86660495780132569152016-04-05T12:10:38.064+05:302016-04-05T12:10:38.064+05:30ऐसी कविताओं को सुन्दर और अच्छी कविता नहीं बल्कि जर...ऐसी कविताओं को सुन्दर और अच्छी कविता नहीं बल्कि जरूरी कविता कहना चाहिए बड़े भाई को धन्यवादविश्व हिन्दी साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/10278183274909361459noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-37287932668768283442016-04-05T10:59:10.428+05:302016-04-05T10:59:10.428+05:30इसकी नक़ल करने का चोरी करने का मन होता है।
Vyomes...इसकी नक़ल करने का चोरी करने का मन होता है। <br />Vyomesh Shukla के घर एक दिन मैं डाका डालूँगा।<br />Umber R. Pandehttps://www.facebook.com/umber.pandey?fref=ufi&rc=pnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-49452729005766199942016-04-05T09:44:21.082+05:302016-04-05T09:44:21.082+05:30आवाज़ें स्मृतियों का द्वार है.
व्योमेश की यह कवि...आवाज़ें स्मृतियों का द्वार है. <br /><br />व्योमेश की यह कविता हिन्दी कविता का बेहतरीन स्वर है. न सीधे बयानी है न सपाटपन. हम जिस तरह से कविता के अंदाज़ को जीते हैं वह सुई में धागे पिरोये जाने की तरह बेहद सूक्ष्म है... <br /><br />व्योमेश ने यहाँ कई बातों पर रोशनी डाली है. यह भी देखना की एक कविता की वास्तविकता कितनी सघन और सहज है. <br /><br />बधाईNeelotpal Ujjainhttps://www.facebook.com/neelotpal.ujjain?fref=ufinoreply@blogger.com