tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post6167447825289078560..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: कवि कह गया है : ६ : शिरीष कुमार मौर्यUnknownnoreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-59598200087084083442010-06-25T19:26:20.217+05:302010-06-25T19:26:20.217+05:30Sundar likha hai Shireesh ji! kavita sa lekh!Sundar likha hai Shireesh ji! kavita sa lekh!Pratibha Katiyarhttps://www.blogger.com/profile/08473885510258914197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-82572200612389250852010-06-25T12:56:12.547+05:302010-06-25T12:56:12.547+05:30मुझे लगता है ये शिरीष सर की कविता ही नहीं बल्कि व...मुझे लगता है ये शिरीष सर की कविता ही नहीं बल्कि व्यक्तित्व के निर्णायक तत्वों का लेखा जोखा है !ये सफ़र कवि होने के साथ साथ एक संवेदनशील मनुष्य हो जाने का सफ़र है !स्मृतियों में nostalgic हो जाना हो या स्वप्न में सुन्दर अनागत का बुनाव या फिर यथार्थ के 'जो है जैसा है' का मुखर विरोध, इनकी कविता और व्यक्तित्व में बराबर की बेबाकी और साफदिली है !अमितhttps://www.blogger.com/profile/14228522614377198712noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-41128605092728204932010-06-25T12:50:58.642+05:302010-06-25T12:50:58.642+05:30* अच्छा लगा !
* कवि शिरीष कुमार मौर्य की कविता के ...* अच्छा लगा !<br />* कवि शिरीष कुमार मौर्य की कविता के उत्स को उन्हीं के शब्दों में जानना! <br />* मुझे अक्सर लगता है कि न तो यह दुनिया एकसार है , न ही हम सबका जीवन फिर भी इसी में रहना है और असमाप्य कोरस के बीच अपनी बात को अपने ही स्वर में कहना है, यही कवि होना है। मुझे खुशी है कि जिस कवि को मैं लंबे समय से पढ़ - गुन - देख रहा हूँ वह ( अब भी) सचेत और सावधान है साथ ही अपनी एक अलग - सी कहन के साथ पूरी उर्जा के साथ विद्यमान है।<br />* बढ़िया जी!siddheshwar singhhttps://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-11315291573321161552010-06-25T11:30:46.330+05:302010-06-25T11:30:46.330+05:30शिरीष के काव्यात्मक वक्तव्य में उनकी रचनाप्रक्...शिरीष के काव्यात्मक वक्तव्य में उनकी रचनाप्रक्रिया और उनकी कविताओं में आने वाले प्रतीकों के स्त्रोत का उद्घाटन है.प्रदीप जिलवानेhttps://www.blogger.com/profile/08193021432011337278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-39803857031316450302010-06-25T08:53:20.319+05:302010-06-25T08:53:20.319+05:30शिरीष ने कविता के वास्तविक स्रोतों का पता दिया है,...शिरीष ने कविता के वास्तविक स्रोतों का पता दिया है, जहां से कविता अपने होने के पूरे एहसास के साथ न केवल हस्तक्षेप करती है बल्कि अपने समय का एक वैकल्पिक इतिहास भी रचती है। जहां आख्यान जादू नहीं करते, आंखों में आंखें डालकर बतियाते हैं। यह बहुअर्थीय, अंतर्राष्ट्रीय या विशिष्ट होने के मोह से कहीं आगे की चीज़ है जो कविता को अर्थपूर्ण और ज़िम्मेदार बनाती है।<br /><br />शुक्रिया शिरीष कि आपने हम सबकी बात कही।Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-3192866807627204622010-06-25T08:27:48.991+05:302010-06-25T08:27:48.991+05:30जीवन का चित्रण काव्यात्मकता से प्रारम्भ कर यथार्थ ...जीवन का चित्रण काव्यात्मकता से प्रारम्भ कर यथार्थ पर ला कर छोड़ा है । जीवन ही कविता थी उस समय । वे क्षण, निर्मल, निश्छल, सत्य, प्राकृतिक, रह रह कर याद आते हैं क्योंकि वर्तमान के तथ्य मन का साम्य रहने नहीं देते ।<br />सपने, उमंगें, सुख दुख, ये सब कविता के ही अंग हैं । व्यक्तित्व कविता है, कोई व्यक्त कर पाता है, कोई मन में गुनगुना लेता है ।<br />मोहक चित्रण ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com