tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post5773516259095239236..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: पंकज चतुर्वेदी की नई कविताएंUnknownnoreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-50120128237562088752011-07-21T18:13:04.956+05:302011-07-21T18:13:04.956+05:30बतियाने का शिल्प! कथाओं से कथाएं जुडती चली जाती है...बतियाने का शिल्प! कथाओं से कथाएं जुडती चली जाती हैं और आखिरकार एक ऐसी छटपटाहट तारी होती है कि आप इस दुनिया की हकीकत से और डर जाते हैं. यह शिल्प अलग और अनूठा है, पंकज जी का खुद विकसित किया हुआ. इस शिल्प के सहारे सच्चाईयों से तादात्म्य बनता चला जाता है. अभी इस शिल्प में उनकी सबसे बेहतर कविता का मैं इंतज़ार कर रहा हूँ क्योंकि इस शिल्प में अद्भुत ताकत है. <br />मृत्युंजय/ 08763642481मृत्युंजयhttps://www.blogger.com/profile/09135755676182103803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-63540270551658655352011-07-17T15:07:07.869+05:302011-07-17T15:07:07.869+05:30पंकज भाई को अपनी कविताओं के साथ यहां देखना बहुत अच...पंकज भाई को अपनी कविताओं के साथ यहां देखना बहुत अच्छा लगा। मुझे उनकी कविताएं हमेशा ही पसन्द रही हैं। व्योम टिप्पणी भी बहुत अच्छी लिखी है।शिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-87436533107721353632011-07-17T11:40:03.703+05:302011-07-17T11:40:03.703+05:30"धारा १४४" एवं "संबंध" दोनों ह..."धारा १४४" एवं "संबंध" दोनों ही महत्वपूर्ण कविताएं हैं|भ्रष्ट होती गयी व्यवस्था को बहुत स्पष्ट तरह से चिह्नित होते हुए देखा जा सकता है यहां। बहुत दिनों बाद कुछ अपने तरह की कविताएं पढ़ने का अवसर मिला। आभार।विजय गौड़https://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-41967422878332876412011-07-16T12:03:25.711+05:302011-07-16T12:03:25.711+05:30बेहतरीन कविताएं...शुभकामनाएं पंकज जी को...बेहतरीन कविताएं...शुभकामनाएं पंकज जी को...Anshu Mali Rastogihttps://www.blogger.com/profile/01648704780724449862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-7393725273061520322011-07-16T11:15:25.615+05:302011-07-16T11:15:25.615+05:30अछ्छी कवितायें.अछ्छी कवितायें.आशुतोष कुमारhttps://www.blogger.com/profile/17099881050749902869noreply@blogger.com