tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post5703054383691569313..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: विचारार्थ : जल-जीवन Unknownnoreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-45117289565359811902013-09-03T10:30:59.230+05:302013-09-03T10:30:59.230+05:30यह भी बिरोधाभास लगेगा यदि लिखूं कि अच्छा लगा पढकर....यह भी बिरोधाभास लगेगा यदि लिखूं कि अच्छा लगा पढकर. बाढ़ कुछ सरकारी बाबुओं और मंत्रियों के अलाबे कैसे किसी को सुहा सकता है भला?<br />कोढ़िया बाढ़! बाँध के कारण पानी आ तो जाती है तेजी से लेकिन निकलने मैं उतनी ही देर लगाती है. बहुत कम शव्दों में बहुत कुछ लिखा है. Sadan Jhahttps://www.blogger.com/profile/03549280438683116103noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-15923775975301487072013-09-03T08:11:41.857+05:302013-09-03T08:11:41.857+05:30प्रकृति माँ सी डुलाती है तो कभी रौद्र रूप धर लेती ...प्रकृति माँ सी डुलाती है तो कभी रौद्र रूप धर लेती है, काश हम उसका संवाद स्पष्ट सुन पाते।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-31959566893586216062013-09-02T22:52:22.729+05:302013-09-02T22:52:22.729+05:30अब जबके हम अपने आँखों में भरे शर्म का पानी पी चुके...अब जबके हम अपने आँखों में भरे शर्म का पानी पी चुके है। आपके लेख की तरलता कंठ तक तारी है ! फिलहाल मुझे पानी पर रचा वो महान गीत याद आता है !<br />इस दुनिया में जीने वाले..ऐसे भी हैं जीते । <br />रुखी सुखी खाते हैं और ठंडा पानी पीते....<br />वैसे तो हर रंग में..तेरा रंग जमाल..! <br />पानी रे पानी तेरा रंग कैसा ?<br />पानी पर लिखने की सदैव आकांक्षा रही । जब कभी लिखूंगा... आपका लिखा पहली प्रेरणा रहेगा !<br />महाभूत चन्दन रायhttp://facebook.com/poetchandanrainoreply@blogger.com