tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post3947151879935721210..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: कवि की संगत कविता के साथ : ५ : लाल्टूUnknownnoreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-20573094734083816252008-09-09T21:02:00.000+05:302008-09-09T21:02:00.000+05:30shar me shar ki gandh kavita bhut achhi lagi. Ratn...shar me shar ki gandh kavita bhut achhi lagi. RatneshRatneshhttps://www.blogger.com/profile/17061171991489206144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-39406178839504332502008-09-09T17:58:00.000+05:302008-09-09T17:58:00.000+05:30चंडीगढ़ नहीं हैदराबाद...लाल्टू चंडीगढ़ से हैदराबाद...चंडीगढ़ नहीं हैदराबाद...लाल्टू चंडीगढ़ से हैदराबाद जा चुके हैं, मुझे मालूम नहीं थाEk ziddi dhunhttps://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-87500254921858343542008-09-09T02:07:00.000+05:302008-09-09T02:07:00.000+05:30आप बड़ा काम कर रहे हैं. इस तरह के बेहद रचनात्मक ब्...आप बड़ा काम कर रहे हैं. इस तरह के बेहद रचनात्मक ब्लॉग नेट की दुनिया को समृद्ध करेंगे.Mrinalhttps://www.blogger.com/profile/08968518312217658144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-88494521766019745092008-09-08T18:49:00.000+05:302008-09-08T18:49:00.000+05:30बहुत अच्छी कविताएँ हैं. पर यह कहना न्यायसंगत नहीं ...बहुत अच्छी कविताएँ हैं. पर यह कहना न्यायसंगत नहीं कि लाल्टू किसी गुट में अथवा किसी फेरे में नहीं. मैं जानता हूँ कि वह हिन्दी कविता में हरजिंदर सिंह लाल्टू के नेतृत्व वाले "लाल्टू गुट" के सक्रिय सदस्य हैं.<BR/>अरुणArun Sinhahttps://www.blogger.com/profile/10369009992778988276noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-30981288759354798872008-09-08T17:49:00.000+05:302008-09-08T17:49:00.000+05:30लाल्टू से मिलने के बाद हर बार लगता है जैसे वो अभी...लाल्टू से मिलने के बाद हर बार लगता है जैसे वो अभी फैसला करके आए हैं आग को हर हाल में जलाए रखने का, फिर लगता है जैसे कहना चाहते हों कि आग ही क्यों, पानी क्यों नहीं...बहरहाल... सुलगने का धुंआ तो हमेशा नज़र आया ही है, हो सकता है मैं ग़लत भी हूं ऐसा सोचने में। कविताएं अच्छी लगीं और इस बात से पूरी तरह सहमत कि कविता एक सेल्फ थेरेपी की तरह है।शायदाhttps://www.blogger.com/profile/17484034104621975035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-15376017106447340322008-09-08T11:10:00.000+05:302008-09-08T11:10:00.000+05:30एक अर्से से उनका लिखा खोज खोज के पढ़ा है. आज उनका इ...एक अर्से से उनका लिखा खोज खोज के पढ़ा है. आज उनका इतना ईमानदार वक्तव्य और कविताएं. दस में दस नम्बर इस पोस्ट के लिए अनुराग! और एक हज़ार शुक्रिया!Ashok Pandehttps://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-32003178896959090072008-09-08T01:53:00.000+05:302008-09-08T01:53:00.000+05:30अनुराग, सही कहा आपने लाल्टू जी ने अपने को हमेशा गु...अनुराग, सही कहा आपने लाल्टू जी ने अपने को हमेशा गुटबाजी से दूर रखा है। वर्ष 2000-01 में पंजाब विश्व विद्यालय में उनसे खूब मुलाकात हुआ करती थी। उसके बाद तो मैंने चंडीगढ़ छोड़ दिया था। दोनों कविताएं बहुत सुंदर हैं।मनीषा भल्लाhttps://www.blogger.com/profile/08641339911733741450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-7140528550349413732008-09-08T00:11:00.000+05:302008-09-08T00:11:00.000+05:30लाल्टू जी मेरे प्रिय कवियों में हैं, इसलिए जब आज उ...लाल्टू जी मेरे प्रिय कवियों में हैं, इसलिए जब आज उनका लिखा कुछ पढ़ने को मिला तो मन झूम उठा. कविताओं का क्या कहना, वे तो सुदर है ही, अपनी सादगी और सरलता में जीवन के तल्ख़ अनुभव और सत्य को बयां करती हुई, लेकिन उस से भी ज्यादा ध्यान जिस ने खींचा वह उनका वक्तव्य था. उन्होंने जो बात कही है उसमे से दो बातों पर गौर करने से कविता के आज के संकट और उस से मुक्ति की बात भी समझी जा सकती है. पहली तो यह कि , "हर कोई कविता के प्रति स्वतः खिंचता है. इसलिए अनंत सम्भावना है कविता के लिए." और दूसरी, " कविता में उतनी ही बात हो जितनी हम जीते हैं."<BR/>कुल मिला कर, हुनर दिखने या चकाचौंध से भर देने के प्रयास के बजाय अपना सच बयां हो, सच सिर्फ़ सच सच. और सच्ची बात किसी के भी दिल तक पहुँचती है.<BR/> इधर कविता के पाठकों की संख्या में जो कमी आई है उसकी वजह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का फैलाव तो है ही, साथ ही कविताओं का शुष्क ठंडापन, नीरस दुरुहता और ह्रदय को छू लेने में अक्षमता भी है. कविता में बौद्धिक जुगाली के बजाय संवेदना को ज्यादा अहमियत मिलनी चाहिए. यह तभी सम्भव हो सकेगा जब कोई ईमानदारी से अपने जिए हुवे अनुभव की नज़र से लिखेगा. सच्ची बात दिल से निकलती है और दिल तक पहुँचती है. लाल्टू जी ने इसी बात का जिक्र किया है. यह बात इसलिए भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि राजेंद्र यादव जी समेत अन्य कुछ द्रष्टाओं ने घोषणा की है कि यह सदी कविता के अंत की सदी है. कुछ लोगों ने तो जल्दीबाजी में , नोस्त्रेदेमस बनने की होड़ में समस्त कलाओं के ही अवसान की भविष्यवाणी कर दी है. उन की बुद्धि, वे ही जाने ! बहरहाल, कलाएं तो हमारे बीज में ही हैं. हमारी अभिव्यक्ति भी जब जब बीज की तरफ़ मुडेगी, नई नई कोंपल ले कर उगेगी.<BR/>आज जब पूँजी और तकनीक के आतंक ने हमें सम्मोहित कर के सस्ते सुलभ मनोरंजन में हमें उलझा कर हमारे सोचने समझने की शक्ति को ही ख़त्म करना शुरू कर दिया है तो ज़ाहिर है चिंतन को उठाने वाली, सोचने पर मजबूर करने वाली कोई भी रचना आज की नियामक सत्ताओं को पसंद नही आएगी. ऐसे में लेखकों, कवियों, कलाकारों की जिम्मेदारी दोहरी हो जाती है कि रचना का वह रूप विकसित करें जो इन ताक़तों से लड़े भी और लोगों के चिंतन का परिष्कार भी करे. और ऐसा होगा भी क्योंकि कविता में असीम सम्भावना है. <BR/>लाल्टू जी आपको बहुत धन्यवाद . <BR/> तुषार धवलTushar Dhawal Singhhttps://www.blogger.com/profile/14406424952152408211noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-24646337176445656442008-09-07T23:53:00.000+05:302008-09-07T23:53:00.000+05:30बहुत सुंदर कविता कविता लिखी गई है ख़ुद के लिए न की...बहुत सुंदर कविता <BR/>कविता लिखी गई है ख़ुद के लिए न की छपने के लिए <BR/>दिल को छूने वाले भाव <BR/><BR/>वीनस केसरीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-35366287066809125062008-09-07T22:12:00.000+05:302008-09-07T22:12:00.000+05:30बहुत बेहतरीन कवितायें पढ़वाने का आभार.बहुत बेहतरीन कवितायें पढ़वाने का आभार.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-48639741927372134692008-09-07T21:41:00.000+05:302008-09-07T21:41:00.000+05:30कविता में उतनी ही बात हो जितनी हम जीते हैं। यह ईमा...कविता में उतनी ही बात हो जितनी हम जीते हैं। यह ईमानदारी विरल होती जा रही है. कविताएं पसंद आईं.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/17425300285558578127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-15957422309225824762008-09-07T21:20:00.000+05:302008-09-07T21:20:00.000+05:30bahut sundar kavita hai hazirjawab nahi hun.bahut sundar kavita hai hazirjawab nahi hun.विद्या भूषणhttps://www.blogger.com/profile/05479819691452744615noreply@blogger.com