tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post387672972611452946..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: नए कवि : अम्बर रंजना पाण्डेय की कविताएंUnknownnoreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-2376775638811442432016-09-20T15:57:48.901+05:302016-09-20T15:57:48.901+05:30AtulaniyaAtulaniyaSHREY62https://www.blogger.com/profile/16115537424998276252noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-51095230646679040082011-01-13T23:48:50.652+05:302011-01-13T23:48:50.652+05:30इतने दिनों बाद कुछ भारी पढ़ा है .. खूबसूरत जटिलता ल...इतने दिनों बाद कुछ भारी पढ़ा है .. खूबसूरत जटिलता लिए ..ये कविताएँ अजंता एलोरा के अंधेरों में उभरी उन आकृतियों के पास ले जाती हैं, जिन्हें कोई चाहे तो एक सरसरी निगाह ने जांचे ..या फिर दिन भर वहां सोच बूझ करने के बाद भी कल और कभी आने कि आशा रखे .. कुछ इसी रूप में दूसरी बार ये सब रचनाएँ पढ़ रही हूँ और आशा के मुताबिक जायेका अभी क़रारा है ..फिर आने कि इच्छा है!दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMAhttps://www.blogger.com/profile/12486880239305153162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-81374891601422233642011-01-10T15:32:03.417+05:302011-01-10T15:32:03.417+05:30आज की एकरस कविताओं से अलग अंबर की कविताएं एक ताजगी...आज की एकरस कविताओं से अलग अंबर की कविताएं एक ताजगी का अहसास कराती हैं...अंबर में कथ्य की नवीनता तो है ही अपनी बुनावट में ये कविताएं एक तरह की अद्भुद् लयात्मकता को भी लिए हुए हैं।<br />आज जब कविता अपनी जमीन को छोड़कर वैश्विक बनती जा रही है और एक ही तरह से(लगभग) लिखी जा रही हैं ऐसे में अंबर की कविताएं उस एकरसता को तोड़ने में सक्षम हैं और एक अद्वितीय सौंदर्यबोध से संपन्न होने के साथ ही अपनी भारतीय जमीन से गहरे संपृक्त हैं। मेरे मुंह से इन कविताओं के लिए बस एक ही शब्द निकल रहा है...वह कि अद्भुद्....अद्भुद्....विमलेश त्रिपाठीhttp://bimleshtripathi.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-43246168175580602162011-01-09T15:12:13.914+05:302011-01-09T15:12:13.914+05:30स्त्री की प्रकति इस प्रकृति की तरह होती है ....सोल...स्त्री की प्रकति इस प्रकृति की तरह होती है ....सोलह श्रृंगार शायद ये ही है ....खुद को अभिव्यक्त करना होता है उस प्रकृति के सामने ....अब इस में प्यार के बिम्बों को बखूबी दर्शाती हुई कविता ...अलग लगती है ...पर शब्दों की भेदने की ताकत काफी ....शुभ कामनाएं अम्बर रंजना जी को ..और आप को धन्यवाद की एक खूब सूरत लेखक से परिचयी कराया !!!!!निर्मल पानेरीTravel Trade Servicehttps://www.blogger.com/profile/11770735608575168790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-31790791258208617262011-01-09T14:47:53.154+05:302011-01-09T14:47:53.154+05:30यहाँ आकर हमेशा कुछ हट के और सुंदर रचनाएं पढने को म...यहाँ आकर हमेशा कुछ हट के और सुंदर रचनाएं पढने को मिलती है। इन सुंदर और बेहतरीन कविताओं को पढकर ना जाने क्यूँ घर्मवीर भारती की कनुप्रिया की याद हो आई। पढ़ते वक्त एक चित्र सा खींचता चला जाता है दिमाग में। बहुत बेहतरीन। और हाँ आप जो चित्र लगाते है रचनाओं के साथ वो भी कम सुंदर नही होते जी ललचा जाता कि इन्हें अपने कमरे में लगा लूँ।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-51446024519973191222011-01-09T14:27:13.568+05:302011-01-09T14:27:13.568+05:30... 'हो जाए बाल जल्दी
सफ़ेद. चिंता नहीं कल के ...... 'हो जाए बाल जल्दी<br />सफ़ेद. चिंता नहीं कल के होते आज हो<br />जाए. मैं तो भरूंगी खूब सिन्दूर मांग<br />में. तुम सदा मुझ भोली से झूठ कहते हो.<br />कैसे पति हो पत्नी को छलते रहते हो<br />हमेशा. बाल हो जायेंगे मेरे सफ़ेद<br />तो क्या? मेरा तो ब्याह हो गया हैं तुमसे.<br />तुम कैसे छोड़ोगे मुझे मेरे बाल जब<br />सफ़ेद हो जांयेंगे. ...<br />... bahut khoob ... bhaavpoorn lekhan !<br />... तुमने मुझे छुआ पहली बारऔर फल पकने लगा भीतर ही भीतर ...<br />... kyaa kahane ... behatreen !!<br />... तुम यदि डिस्टर्ब होते हो<br />तो मुझे गाड़ दो ज़मीन मेंया धक्का दे दो किसी खाई में<br />मेरी आँखें खराब हो चुकी हैं. कानोंको कुछ सुनायी नहीं देता.मैं कुछ सूंघ नहीं पाता मोगरे केअलावा ... <br />.... atisundar ... prasanshaneey rachanaayen ... shaandaar prastuti !!!नया सवेराhttps://www.blogger.com/profile/14420198613329878532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-76448245361088625672011-01-09T13:21:55.356+05:302011-01-09T13:21:55.356+05:30अम्बर को इससे पहले फेसबुक पर, कभी-कभार, पढ़ा है. ...अम्बर को इससे पहले फेसबुक पर, कभी-कभार, पढ़ा है. उनके नोट्स में. बहुधा, प्रभावित करने वाली कविताएं. एक अलग भावलोक की मार्गदर्शिका हैं ये. केश वाली कविताएं तो भीतर गूंजती हैं और रवि वर्मा की पेंटिंग्स जैसे समय की कहानी कहती हैं. <br />भारतेंदु के इत्रदान पर लिखी इनकी एक सुंदर कविता भी मेरी स्मृति में है. <br />अम्बर लगातार और बढि़या लिखते रहें, मेरी शुभकामनाएं.Geet Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/14811288029092583963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-62388847740055296862011-01-09T08:35:34.064+05:302011-01-09T08:35:34.064+05:30बहुत दिनों बाद कुछ नया-सा पढ़ने मिला कविता में... &...बहुत दिनों बाद कुछ नया-सा पढ़ने मिला कविता में... "स्पर्श" ने वाकई छू लिया...प्रशान्तhttps://www.blogger.com/profile/11950106821949780732noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-12332064715977928932011-01-09T07:35:32.908+05:302011-01-09T07:35:32.908+05:30कविता यूँ भी होती है !खूब ,अदभुत |कविता यूँ भी होती है !खूब ,अदभुत |Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16315054585574087560noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-38791389757409726222011-01-08T16:09:39.873+05:302011-01-08T16:09:39.873+05:30बेहतरीन कवितायें!!!
सुंदर बिंब..अदभुत...सूक्ष्म-अव...बेहतरीन कवितायें!!!<br />सुंदर बिंब..अदभुत...सूक्ष्म-अवलोकन.. "महानदी" पढ़ते-पढ़ते आँखों के आगे नदी अपनी पूरी खूबसूरती के साथ तैर गयी...आभार आप दोनों का....Arpitahttps://www.blogger.com/profile/00452777778593712485noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-83609912685912589542011-01-08T16:07:24.691+05:302011-01-08T16:07:24.691+05:30लीक से हटकर एक अलग सा माहौल बनाती कवितायें हैं, मो...लीक से हटकर एक अलग सा माहौल बनाती कवितायें हैं, मोहक सी भाषा में प्रणय को दर्शाती हैं. धन्यवाद अनुराग जी.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/05958882849698532647noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-18853420382381625482011-01-08T15:23:57.591+05:302011-01-08T15:23:57.591+05:30सूक्ष्म अवलोकन, विस्तृत परिचय।सूक्ष्म अवलोकन, विस्तृत परिचय।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com