tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post3202673860497543130..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: कोठार से बीज : ५ : सर्वेश्वर दयाल सक्सेनाUnknownnoreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-25205138767609630502012-11-18T18:15:15.477+05:302012-11-18T18:15:15.477+05:30कुछ भी ठीक से जान लेना
ख़ुद से दुश्मनी ठान लेना है...कुछ भी ठीक से जान लेना<br />ख़ुद से दुश्मनी ठान लेना है।vandanahttps://www.blogger.com/profile/10960174252008529797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-83885025583131808262012-04-10T22:30:16.295+05:302012-04-10T22:30:16.295+05:30शब्दों की खोज शुरू होते ही
हम एक-दूसरे को खोने लगत...शब्दों की खोज शुरू होते ही<br />हम एक-दूसरे को खोने लगते हैं<br />और उनके पकड़ में आते ही<br />एक-दूसरे के हाथों से<br />मछली की तरह फिसल जाते हैं।<br /><br />bahut achheRatneshhttps://www.blogger.com/profile/17061171991489206144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-29378522752005003022012-02-09T13:35:28.282+05:302012-02-09T13:35:28.282+05:30तुम्हारे साथ रहकर
अक्सर मुझे लगा है
कि हम असमर्थता...तुम्हारे साथ रहकर<br />अक्सर मुझे लगा है<br />कि हम असमर्थताओं से नहीं<br />संभावनाओं से घिरे हैं,<br />हर दीवार में द्वार बन सकता है<br />और हर द्वार से पूरा का पूरा<br />पहाड़ गुजर सकता है।<br /><br />बहुत बहुत सुन्दर!दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMAhttps://www.blogger.com/profile/12486880239305153162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-74759212880789671412011-04-27T14:26:53.308+05:302011-04-27T14:26:53.308+05:30सर्वेश्वर जी मेरे प्रिय कवि है. मुझे उनकी यह रचना...सर्वेश्वर जी मेरे प्रिय कवि है. मुझे उनकी यह रचनाये बहुत पसंद है. हर दीवार में द्वार बन सकता है. बहुत प्रेरणा मिलती है. मानो जीवन से ही निकली है. धन्यवाद - लीना मल्होत्रालीना मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07272007913721801817noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-35225412258406436372009-01-29T07:04:00.000+05:302009-01-29T07:04:00.000+05:30खूब... ये कवितायें कितने ही बार पढ़ी हैं मगर लुत्फ़...खूब... ये कवितायें कितने ही बार पढ़ी हैं मगर लुत्फ़ में कमी नहीं आती. वैसे भी सर्वेश्वर मेरे priy कवि हैं.महेनhttps://www.blogger.com/profile/00474480414706649387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-70297446326511780582009-01-25T21:30:00.000+05:302009-01-25T21:30:00.000+05:30बहुत सुन्दर कविताएँ,आभार सहित.बहुत सुन्दर कविताएँ,आभार सहित.रजनी भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/08154642819162396396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-35267021783987924042009-01-25T14:25:00.000+05:302009-01-25T14:25:00.000+05:30uffh!kaha se dhundha hai aapne sarweshvar ji ke in...uffh!kaha se dhundha hai aapne sarweshvar ji ke in mohak kavitao ko...maja aa gaya...dhanyvad.rashmihttps://www.blogger.com/profile/04983390597783975196noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-56800896879793271542009-01-25T12:12:00.000+05:302009-01-25T12:12:00.000+05:30सर्वेश्वर की याद दिलाने का शुक्रिया ! " चुपाई मारो...सर्वेश्वर की याद दिलाने का शुक्रिया ! <BR/>" चुपाई मारो दुल्हिन मारा जाई कौआ !"शिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.com