tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post9108538832977840395..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: एदुआर्दो चिरिनोस की कविताएं Unknownnoreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-77845722099771012532014-04-23T12:33:36.270+05:302014-04-23T12:33:36.270+05:30bahut umdabahut umdaSudhir Dhirhttps://www.facebook.com/sudhir.dhir.5?fref=ufinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-59938042614785823642014-04-23T12:32:59.679+05:302014-04-23T12:32:59.679+05:30beautifully expressed the bitter truth of life !!T...beautifully expressed the bitter truth of life !!Thanks Geet Chaturvedi !!Bina Vachanihttps://www.facebook.com/bina.vachani?fref=ufinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-31282061781748560802014-04-23T12:32:05.385+05:302014-04-23T12:32:05.385+05:30उन शब्दों के बारे में जिनकी हम प्रतीक्षा करते हैं,...उन शब्दों के बारे में जिनकी हम प्रतीक्षा करते हैं, पर जो कभी नहीं आते? great line, कवि का घर, मिसूला पहुंचने के लिए great poems<br /><br />बिल्ली और चांद , सूखी पत्तियां, बर्फ़ great poems, thanks geet jiTan Virhttps://www.facebook.com/tanvir.chahal.10?fref=ufinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-21647971653272493502014-04-23T12:31:17.049+05:302014-04-23T12:31:17.049+05:30 Nice NiceBindiya Solankihttps://www.facebook.com/profile.php?id=100005182320851&fref=ufinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-71910187895606132672014-04-23T12:30:15.184+05:302014-04-23T12:30:15.184+05:30सन्नाटे पर आखि़र किसकी मिल्कियत है?
बर्फ़ पत्तियों...सन्नाटे पर आखि़र किसकी मिल्कियत है?<br />बर्फ़ पत्तियों पर लाद देती है अपनी सफ़ेदी<br />उलीचती है अपनी रोशनी और किसी जवाब की प्रतीक्षा तक नहीं करती<br /><br />बेहतरीन अनुवाद.शुक्रिया आपका.Mahesh Vermahttps://www.facebook.com/mahesh.verma.3344?fref=ufinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-50171701731723137862014-04-23T11:00:50.716+05:302014-04-23T11:00:50.716+05:30राबर्ट फ़्रास्ट कहते हैं - अनुवाद में जो खो जाती है...राबर्ट फ़्रास्ट कहते हैं - अनुवाद में जो खो जाती है वही कविता है। गीत चतुर्वेदी अनुवाद में भी कविता बचा ले जाते हैं, उनकी इस विलक्षण प्रतिभा को नमन। चिरिनोस की कविताएँ पढ़वाने के लिये सबद का आभार। ‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-91689105379355933082014-04-22T17:37:28.421+05:302014-04-22T17:37:28.421+05:30एदुआर्दो चिरिनोस की इन कविताओं में बिखराव और उदासी...एदुआर्दो चिरिनोस की इन कविताओं में बिखराव और उदासी का भाव बना रहता है.खालीपन और खोखलेपन को निरंतर महसूस किया जा सकता है. अपेक्षित शब्दों की प्रतीक्षा और उन्हें न सुने जाने की निराशा को 'शब्द सड जाते हैं' कह कर प्रकट किया गया है. नर्क का उल्लेख बहुत कुछ स्पष्ट कर देता है.सूखी पत्तियों और बर्फ का बेमेल जोड़ा अनेक जोड़ों की सच्चाई है.'खाली कागज' खाली मन है.'दान्ते का घर' उसकी पीड़ा का स्मरण कराता है.' बिल्ली और चाँद' टी एस एलियट की प्रुफ्रोक कविता की तरह महिला और बिल्ली में साम्य दर्शाती है.भालू शहर के छलकपट और थमे हुए समय का प्रतीक है.मिसूला पहुँचने के लिए 'बर्फ का नर्कद्वार' और 'धुंध से ढंकी खिडकियों वाली ट्रेन' चाहिए क्योंकि कवि वहां गर्मी में पहुँचता है मगर मन में रॉबर्ट ब्लाय की कविता गूँज रही है जिसमें मिसूला का जिक्र किया गया था.sarita sharmahttps://www.blogger.com/profile/03668592277450161035noreply@blogger.com