tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post6933892337400027044..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: जयशंकर के जर्नल्स : कुछ पढ़ते हुएUnknownnoreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-21713938991861150102011-11-16T03:00:34.967+05:302011-11-16T03:00:34.967+05:30ये अनुभूतियाँ हृदय में उतरती हैं... अनुभूतियों को ...ये अनुभूतियाँ हृदय में उतरती हैं... अनुभूतियों को ज़मीन देने वाले उन साहित्यों को पढ़ने की ओर प्रेरित करती हुई सुंदर पोस्ट!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-45472143645834095412011-10-28T15:58:30.103+05:302011-10-28T15:58:30.103+05:30अहा! अद्भूत है यह चयन..अहा! अद्भूत है यह चयन..Anshu Mali Rastogihttps://www.blogger.com/profile/01648704780724449862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-65076436801080450912011-10-28T07:58:56.414+05:302011-10-28T07:58:56.414+05:30.बेहतरीन हिस्से ....निस्संदेह जयशंकर हिन्दी साहित्....बेहतरीन हिस्से ....निस्संदेह जयशंकर हिन्दी साहित्य के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं |उनकी कहानियां कथादेश,नया ज्ञानोदय आदि में पढ़ते रहते हैं |लेकिन ये जन्राल्स पढ़ना एक अद्भुत अनुभूति ही नहीं एक सुखद संयोग भी है ..शुक्रिया अनुराग..| जिन टुकड़ों को यहाँ प्रेषित किया गया है उन्हें पढ़कर मस्तिष्क उसी अवधारणा को पुनः दोहराना चाहता है ,जिसका सारांश संभवतः यह होना चाहिए ''उत्कृष्ट और कालजयी लेखक न सिर्फ अपनी कालगत पारिवारिक सामाजिक राजनैतिक या भौगोलिक प्रष्ट भूमि से गुन्थित होता है बल्कि अपनी चेतना में उफनते हुए अनुभवों/पीडाओं को ही वो शब्द रूप दे स्वयं की कुंठाओं और अवसाद से मुक्ति का प्रयास भी करता है |''truthful vision''संभवतः इसी का तर्जुमा है ....काफ्का-मीलेना के अंतर्संबंधों का सच ,या हर्मान के अपने अतीत और वर्त्तमान के अंतर्द्वंद या इवान इलिच का अपने जीवन के अधूरेपन से साक्षात्कार ,असफलता की गहरी पीड़ा,(तोलस्तोय),या ब्रॉडस्की ने निष्कासन के दिनों के बारे में लिखते हुए अपने बूढ़े माँ-बाप को उन दो कव्वों को देख याद करना । I bowed down to all the suffering of humanity ''रसकोलनिकोव'.....Frank O' Corner की साधारण परिवेश की असाधारण सच्चाइयों से भरी कहानियां.....ये और अन्य विश्व प्रसिद्द लेखकों गोर्की,मोपांसा,चेखव ,या प्रमचंद,भीष्म सहनी,मोहन राकेश,निर्मल वर्मा आदि का रचना जगत इसी सत्य की गवाही देता प्रतीत होता है |अभी अभी अकूता गावा कि राशोमान पूरी कि ,सामाजिक राजनैतिक परिवेश का वीभत्स वर्णन है कई बार पढ़ते हुए लगा कि किताब बंद कर दें लेकिन हर बार ही गोर्की का कथन याद आ गया और अंततः पूरी पढ़ ली गई ''यदि बुरा और बेजायका शहद ही जीवन में ज्यादा मिला हो,तो उसे मीठा और ज़ायकेदार क्यूँ और कैसे कहा जाये ''(गोर्की) ||उक्त टुकड़ों और अनुभवों को पढ़ते हुए गोर्की का अलेक्सी याद आ रहा है ''अच्छी किताबों का महत्त्व,उनके माने अब मैं समझता था,और जानता था कि उनका होना मेरे लिए कितना ज़रूरी है ...''वंदना शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/16964614850887573213noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-88191693897533552832011-10-28T04:48:06.940+05:302011-10-28T04:48:06.940+05:30साहित्यिक यात्रा में दुखों के पड़ाव ही पाठक को रुक...साहित्यिक यात्रा में दुखों के पड़ाव ही पाठक को रुककर कुछ सोचने और लेखक के साथ एकात्म होने का अवसर देते हैं.संबंधों की जटिलताओं से उपजी पीडाएं और जीवन के संघर्ष का दुखद अंत रचनाओं को यादगार बनाता है.विधिन्न पुस्तकों की अनुभूति बाँटने वाले ये नोट्स विचारोत्तेजक हैं और बेहद मार्मिक भी.sarita sharmahttps://www.blogger.com/profile/03668592277450161035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-86488023181893199862011-10-27T20:42:30.114+05:302011-10-27T20:42:30.114+05:30कुछ कहानियां दुःख के बारे में होती हैं, कुछ कहानिय...कुछ कहानियां दुःख के बारे में होती हैं, कुछ कहानियां सुख के विषय में, परन्तु कुछ कहानियां होती हैं, जो एक विराट सत्य से हमारा परिचय कराती हैं --.... yahi ahsas is post ko padhne pe ho raha hai. behtreen ..Rukaiyahttps://www.blogger.com/profile/14758104605385026773noreply@blogger.com