tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post6272386558236082074..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: यादों में बाबा : रेवा नाग बोडस Unknownnoreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-62423649025908484632016-11-23T12:05:39.912+05:302016-11-23T12:05:39.912+05:30I need his family contact number for permission fo...I need his family contact number for permission for play performance.<br />Any body can help me.<br /><br />mail at alokeman@gmail.com<br /><br />tx<br />ALOK KUMARhttps://www.blogger.com/profile/05759425473849030553noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-55896977983917529142015-02-15T23:40:48.665+05:302015-02-15T23:40:48.665+05:30आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद । इतने दिनो के बाद आभा...आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद । इतने दिनो के बाद आभार व्यक्त कर रही हूँ... माफी चाहती हूँ।Reva Bodashttps://www.blogger.com/profile/16037578461650477270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-66920309045521776132014-12-07T08:41:29.260+05:302014-12-07T08:41:29.260+05:30Khak me kya suraten hogi Jo pinha ho gayin.Khak me kya suraten hogi Jo pinha ho gayin.चन्दनhttps://www.blogger.com/profile/06676248633038755947noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-48296619905531821412014-12-05T00:17:20.346+05:302014-12-05T00:17:20.346+05:30bahut hi sunder aaalekh....badhayibahut hi sunder aaalekh....badhayiAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/01229721606335613058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-34982782566967550822014-12-04T14:56:32.356+05:302014-12-04T14:56:32.356+05:30बाबा को याद करना और किसी और का अपने बाबा की याद मे...बाबा को याद करना और किसी और का अपने बाबा की याद में लिखा गया कुछ पढ़ना दोनों ही अच्छे अनुभव होते हैं........ माहौल कुछ ऐसा है की हमें कुछ भी दिखाना है पर खुद को भावुक नहीं दिखाना है दूसरों के सामने ........ ऐसे में हम सूखे सूखे घुमते हैं...... रेवा का भीगा भीगा सा लेख अंतस को भीगा गया....... रेवा! हमारी यात्रायें एक नहीं होतीं पर कभी कभी दुसरे की यात्रा में हम पूरे पूरे शामिल होते हैं ..... आपको पढ़ कर ऐसा लगा.....आभार..Aparna Praveen Kumarhttps://www.facebook.com/aparna.p.kumar.94?pnref=storynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-11891715355325151782014-12-04T14:53:47.512+05:302014-12-04T14:53:47.512+05:30Very well written. Loved it, thanks.Very well written. Loved it, thanks.Nishpriha Thakurhttps://www.facebook.com/nishpriha.thakur?pnref=storynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-64513199310360861402014-12-04T10:11:24.486+05:302014-12-04T10:11:24.486+05:30कितनी आत्मीयता के साथ इस संस्मरणनुमा लेख को रेवा न...कितनी आत्मीयता के साथ इस संस्मरणनुमा लेख को रेवा ने लिखा है अपने पिता पर। वाकई बहुत-बहुत शानदार।<br /><br />और, शुक्रिया आपका भी भाई अनुराग इस लेख को पढ़वाने के तईं।Anshu Mali Rastogihttps://www.blogger.com/profile/01648704780724449862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-72912776039205269212014-12-04T01:15:24.959+05:302014-12-04T01:15:24.959+05:30Lovely - A treasure trove of cherished memories be...Lovely - A treasure trove of cherished memories beautifully crafted into words!Meghana Joshihttps://www.facebook.com/megsjoshi?fref=ufi&pnref=storynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-6635212656508825012014-12-03T20:54:12.682+05:302014-12-03T20:54:12.682+05:30जब से सबद को पढ़ना आरम्भ किया हूँ,साहित्य के क्षेत...जब से सबद को पढ़ना आरम्भ किया हूँ,साहित्य के क्षेत्र से जुङे एक से बढ़ कर एक हस्तियों के जानने को मिल रहा है।ऐसे ही एक हस्ती के बारे में बता रहा सबद के 3 दिसंबर का यह अंक,जिसमें मशहुर नाटककार और कहानीकार नाग बोडस से जुङी अपनी यादों को बता रही हैं उनकी पुत्री रेवा नाग वेडस ।<br /><br />यदि अाप जानना चाहते हैं कि किस तरह आधी रात को पिता के टाइपराइटर की अावाज बेटी के लिये लोरी का कार्य करता है,किस प्रकार अपनी केंसरग्रस्त वीवी को रोज अपनी आंखो के सामने कराहते हुए देखने के बाद भी एक लेखक लिखना नहीं छोङता है, और किस प्रकार physics का एक प्रोफेसर इतना बङा साहित्यकार बन जाता है, तो इस लेख को एक बार अवश्य पढ़ियेगा।<br />शम्भुनाथ सिंहhttps://www.facebook.com/shambhunath2010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-6137003403618692972014-12-03T20:49:57.553+05:302014-12-03T20:49:57.553+05:30बहुत अच्छा लिखा है।बहुत अच्छा लिखा है।Sangya Upadhyayahttps://www.facebook.com/sangya.upadhyayanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-5834366618453981652014-12-03T20:48:49.903+05:302014-12-03T20:48:49.903+05:30क्या बात है .....क्या बात है .....Amitabh Shrivastavahttps://www.facebook.com/amitabh.shrivastava.31?fref=ufi&pnref=storynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-16707091818423889222014-12-03T20:46:28.197+05:302014-12-03T20:46:28.197+05:30Reva का यह आलेख महज शब्दों का सफर नहीं एक जीवंत या...Reva का यह आलेख महज शब्दों का सफर नहीं एक जीवंत यात्रा है उस रूह को पकड़ने, जीने और महसूस करने की जिसे मैंने उसके भीतर तड़पते देखा है। अपनी दोस्त के रूप से अलग कर के देखने पर यह आलेख मुझे हर उस दृष्टि से असाधारण लगता है जहां अपने पिता के बारे में लिखना या याद करना केवल वही नहीं बल्कि कौतूहल की सीमा से परे जा कर भी हर बात या लम्हे की टीस को ताज़ा बनाए रखना है। सच कहूँ तो इसे पढ़कर मैं पहले भी कई बार रोया हूँ(ख़ुश किस्मती से मैं यह पढ़ चुका हूँ) और अपने समय का यह एक बेहतरीन दस्तावेज़ है। शुक्रिया Anurag भाई अपने ब्लॉग पर शामिल करने के लिए .....और हाँ तुम्हें भी बहुत-सा शुक्रिया रेवा इस अद्भुत लेख्न के लिएSudeep Sohnihttps://www.facebook.com/sudeep.sohni?fref=ufi&pnref=storynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-58666768365746878752014-12-03T18:38:13.949+05:302014-12-03T18:38:13.949+05:30आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 4-12-2014 को चर्चा मंच प...आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 4-12-2014 को चर्चा मंच पर <a href="http://charchamanch.blogspot.com/2014/12/1817.html" rel="nofollow"> गैरजिम्मेदार मीडिया { चर्चा - 1817 } </a> में दिया गया है <br />धन्यवाद दिलबागसिंह विर्कhttps://www.blogger.com/profile/11756513024249884803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-6536917980256317852014-12-03T17:11:08.837+05:302014-12-03T17:11:08.837+05:30क्या कहूं, कैसे कहूं... कुछ भी कहना मुश्किल है। एक...क्या कहूं, कैसे कहूं... कुछ भी कहना मुश्किल है। एक बेटी ने अपने पिता को याद किया है। बीती यादों को याद करते हुए खूबसूरत शब्दों से अपने पिता का एक खाका खींचा है। जहां जीवन के तमाम रंग मौजूद हैं... हंसी की किलकारी... प्यार की थपकी है... भावुकता के बादल हैं...होंसलों के पहाड़ हैं... जब आप इन रंगों से होकर गुजरते हैं तो आंखों से टपके आपके आंशू , इन सारे रंगों को एक ही रंग में रंग देते हैं, जिसे हम जिंदगी कहते हैं!<br />-सुशीलसुशीलnoreply@blogger.com