tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post6091615361217144240..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: प्रेम पर कुछ छोटी कविताएं : पंकज रागUnknownnoreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-12040045386233453842011-05-12T21:18:28.914+05:302011-05-12T21:18:28.914+05:30पंकज जी
प्रेम का विस्तार अनन्त है फिर भी आपने उ...पंकज जी<br /> प्रेम का विस्तार अनन्त है फिर भी आपने उसे समेटने की कोशिश की । बड़ा अच्छा लगा । प्रेम समेटना आसान नहीं है किन्तु जब वज स्वयं की सिमट जाए तो उसकी अपनी अलग ही अनुभूति होती है। यह तो आप भलिभांति जानते है। कविताएं हृदय को स्पर्श करती हुई है। बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें ।<br /><br /> कृष्णशंकर सोनानेshankarsonanehttps://www.blogger.com/profile/13871093193696321269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-50950542384028309852010-12-26T16:25:18.674+05:302010-12-26T16:25:18.674+05:30Har Shabd Apne Aap Me Ek Azab Anubhuti Hai!!
&q...Har Shabd Apne Aap Me Ek Azab Anubhuti Hai!!<br /><br /><br /><br />"RAM"<br />http://dhentenden.blogspot.comGautam RKhttps://www.blogger.com/profile/00419156115155805195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-23761554548907545462010-08-30T16:18:02.833+05:302010-08-30T16:18:02.833+05:30नये स्वाद की कविताएं.नये स्वाद की कविताएं.प्रदीप जिलवानेhttps://www.blogger.com/profile/08193021432011337278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-25610292879154634602010-08-28T19:04:33.262+05:302010-08-28T19:04:33.262+05:30तीसरी कविता अच्छी लगी...जैसे समय के साथ प्रेम के द...तीसरी कविता अच्छी लगी...जैसे समय के साथ प्रेम के दायित्व के प्रति अवलेहना को भी प्रकट कर रही हो ....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-53843235472486678092010-08-26T13:16:59.915+05:302010-08-26T13:16:59.915+05:30प्रेम कविताये तो है पर अजीब सा अलग सा अनूठा सा पर ...प्रेम कविताये तो है पर अजीब सा अलग सा अनूठा सा पर अच्छा लगने वाला भाव लिए है...खासकर ये-यूं वह खाली मैदान था जहाँ हम और तुम बैठे थे<br />और घास गीली भी नहीं थी<br />फिर भी हम बेचैन हो कर थोड़ी ही देर में उठ खड़े हुए<br />प्यार एक बाज़ी की शकल लेने लगा था<br />और हम दोनों पहले से ही परास्त थेडिम्पल मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07224725278715403648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-46164552687169327382010-08-26T12:25:47.068+05:302010-08-26T12:25:47.068+05:30मुझे सारी कविताएं अच्छी लगीं, इनमें अपनी ही तरह का...मुझे सारी कविताएं अच्छी लगीं, इनमें अपनी ही तरह का प्रेम झलकता हैवर्षाhttps://www.blogger.com/profile/01287301277886608962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-70573205527048319932010-08-26T11:20:16.486+05:302010-08-26T11:20:16.486+05:30bahut sundar, taral aur sahaj...pyari, bahut achi ...bahut sundar, taral aur sahaj...pyari, bahut achi kavitayeस्वरांगी साने Swaraangi Sanehttps://www.blogger.com/profile/04669994002851190588noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-4020869256989708122010-08-25T01:09:44.258+05:302010-08-25T01:09:44.258+05:30यह अदबी तरीके से प्यार करना सुनियोजित लगता है. इन्...यह अदबी तरीके से प्यार करना सुनियोजित लगता है. इन्हें प्रेम पर नही अप्रेम पर कवितायें कहना ज्यादा ठीक लगेगा. पर क्या अप्रेम घटित हो सकता है? मुझे लगता है कि अप्रेम जब भी घटित होगा, सहज नहीं होगा, बनावटी होगा. इन कविताओं में अभ्यास से या शब्द कौशल से निर्मित यही बनावट दिखायी पड़्ती है. यह भी हो सकता है कि यह बनावट स्वभाव में आ गयी हो, बुनावट में बदल गयी हो. जैसा हो वैसा व्यक्त होने में कम से कम कोई पाखंड तो नहीं रहता. इस नाते कवि को बधाई.डा सुभाष रायhttp://www.sakhikabira.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-27370169162954996532010-08-24T21:47:23.030+05:302010-08-24T21:47:23.030+05:30'प्यार' की सार्थकताको व्यक्त करती आप की...'प्यार' की सार्थकताको व्यक्त करती आप की कवितायेँ सशक्त हैं ,सुन्दर हैं ,बधाई.सुरेश यादवhttps://www.blogger.com/profile/16080483473983405812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-8993703457942292712010-08-24T17:17:54.144+05:302010-08-24T17:17:54.144+05:30बेहद संजीदा प्रेम कविताएँ . बारिश का मौसम और ऐसी ...बेहद संजीदा प्रेम कविताएँ . बारिश का मौसम और ऐसी कविताएँ . मन भीगा सा लगता है. शायद आज कुछ लिख पाऊँ .Meenu Kharehttps://www.blogger.com/profile/12551759946025269086noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-84727530222415717862010-08-24T16:53:04.775+05:302010-08-24T16:53:04.775+05:30"प्यार को सूफ़ियाना मत बनाओ
प्रेम यूं भी एक अ..."प्यार को सूफ़ियाना मत बनाओ<br />प्रेम यूं भी एक अतिशयोक्ति है<br />बेहद की कल्पना कर रहे मेरे सज्जादानशीनों<br />वहाँ भी मिलेंगी चारदीवारियाँ - वहाँ भी खुलेगा मन्नतों का नया सिलसिला<br />तुम्हारे पाले हुए दरगाहों की तरह"<br /><br />क्या बात पंकज जी , प्रेम का विस्तार व समेट दोनों एक साथ ! वाह !दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMAhttps://www.blogger.com/profile/12486880239305153162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-7166238092026765112010-08-24T13:58:55.020+05:302010-08-24T13:58:55.020+05:30प्रेम के पाँच विषयों की सुघड़ व्याख्या।प्रेम के पाँच विषयों की सुघड़ व्याख्या।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-43948941404820034422010-08-24T12:25:48.036+05:302010-08-24T12:25:48.036+05:30'इन बेहद अच्छी' कविताओं पर आपकी असहमति का ...'इन बेहद अच्छी' कविताओं पर आपकी असहमति का पता चलना अच्छा है, किंतु उसके आशय में न तो मुझे कवि की पश्चात-बुद्धि दिखाई पड़ती है, न ही खींच कर उसे 'पश्चाताप' समझ लेने की हड़बड़ी ही मुझमें है. आपके निकट 'अनुभूतियों का विपर्यय' और 'परिचित कथोकथन' के विपरीत जाने वाले नुक्ते से अगर यह ज़ाहिर नहीं हो रहा कि बतौर युक्ति ठंडी वस्तुपरकता अंतर्वस्तु ( प्रेम) को सिर्फ़ एक नई रोशनी में दीप्त करता है, तो आपकी असहमति का सम्मान करना मेरा दायित्व है.anurag vatshttps://www.blogger.com/profile/06840124673778359435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-5536869887319239752010-08-24T11:27:14.596+05:302010-08-24T11:27:14.596+05:30अनुराग मैं थोड़ा असहमत हूँ...मेरे लिए प्रेम ठंडी वस...अनुराग मैं थोड़ा असहमत हूँ...मेरे लिए प्रेम ठंडी वस्तुपरकता का विषय नहीं....यह ठंडापन तो शायद प्रेम का पश्चात है ....और अभी कम से कम मेरे जीवन में प्रेम का कोई पश्चात नहीं....और देखो न....पश्चात् से ही पश्चाताप बनता है....इस नाते मैं बेहद अच्छी पर ठंडी इन कविताओं से कोई तादात्म्य नहीं बना पा रहा....कविता में और जीवन में ऐसा न कर पाने की असफलता ही शायद मेरी "सीमा" है....शिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-10657078856807787712010-08-24T10:20:23.695+05:302010-08-24T10:20:23.695+05:30sab hee kavitayen bahut achee hain...bahut hee ach...sab hee kavitayen bahut achee hain...bahut hee achaa....thanks for sharing these beautiful poems.....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16252422664899321496noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-49183605316919803342010-08-24T09:51:00.833+05:302010-08-24T09:51:00.833+05:30प्रेम पर अप्रेम.
ठंडी वस्तुपरकता का सौंदर्य.प्रेम पर अप्रेम.<br />ठंडी वस्तुपरकता का सौंदर्य.arun dev https://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-4426450360256673832010-08-23T22:14:49.890+05:302010-08-23T22:14:49.890+05:30achhi kavitayein.
vaise prem par kuchh bhee likha...achhi kavitayein. <br />vaise prem par kuchh bhee likha gaya chhota kaise ho sakta hai?शायदाhttps://www.blogger.com/profile/17484034104621975035noreply@blogger.com