tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post5802831954614517692..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: कवि की संगत कविता के साथ : १० : मोहन राणाUnknownnoreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-44786517780391196562011-05-05T08:37:46.396+05:302011-05-05T08:37:46.396+05:30उसे शब्दों में कहने से पहले,पावों तले दिखा कुछ हरा...उसे शब्दों में कहने से पहले,पावों तले दिखा कुछ हरा सा सूखताएक याद जो बालू हो गई छूते हीवहीं खो गए मेरे पदचिन्ह bahut sundar rachna. kavi ka maun samvad pathneey bhi hai aur prashansneey bhi . bahut achhi.लीना मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07272007913721801817noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-2012900574811479892011-02-21T15:19:12.754+05:302011-02-21T15:19:12.754+05:30यदि आप चुप रहकर मन को सुनना चाहते हैं तो अरे यह क्...यदि आप चुप रहकर मन को सुनना चाहते हैं तो अरे यह क्या है पढिए। राणा साब यहां सामान के बहाने जीवन की सच्चाई बयां कर रहे हैं। वे कहते हैं कि यह सामान कैसा, अब यह रास्ता नहीं। कविता के प्रवाह में यदि आप आगे बढेंगे तो मौन के सिवा आपके सामने कोई विकल्प नहीं बचेगा। मेरे हिसाब से एक कविता की सबसे बड़ी ताकत मौन ही होती है (कभी-कभी मौन से भी क्रांति की लौ उठती है)। यहां कवि कहता है- चोर समय चुरा रहा है अपने आपको ही, पर विलाप कोई और करता ईश्वर के खो जाने का.<br />पूरी समीक्षा यहां पढ़िए-http://anubhaw.blogspot.com/2011/02/blog-post_16.htmlGirindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttps://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-54812026016551724702011-02-20T20:26:12.878+05:302011-02-20T20:26:12.878+05:30कवि का आत्मकथ्य बहुत साफ़,ईमानदार और जैसे अपने को ढ...कवि का आत्मकथ्य बहुत साफ़,ईमानदार और जैसे अपने को ढूँढता सा. <br />''कविता दो बार किसी भाषा में अनुवादित होती है पहली बार जब उसे शब्दाकार दिया जाता है दूसरी बार जब उसे पढ़ा और सुना जाता है''<br />जैसी पंक्तियाँ बता रहीं कि अपनी इस काव्य यात्रा को भी कवि ने किस कलात्मकता से देखा है .<br />कवितायें तो मंजी हुई और छूती हुई हैं ही . कवि और अनुराग जी के प्रति आभार .महेश वर्मा mahesh verma https://www.blogger.com/profile/04275583629021409585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-37083042031737670872011-02-18T11:11:20.443+05:302011-02-18T11:11:20.443+05:30अच्छी कविताएं।
आत्मकथ्य में सच ही कहा है आपने ...अच्छी कविताएं। <br />आत्मकथ्य में सच ही कहा है आपने कि कविताएं लिखी नहीं जाती, वह तो मन के भाव हैं जो कागजों में खुद ब खुद उभर आते हैं।Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-33380820400928702692011-02-18T08:56:59.509+05:302011-02-18T08:56:59.509+05:30अनुराग जी... आपकी यह उम्दा ब्लॉग पोस्ट और कविताएँ ...अनुराग जी... आपकी यह उम्दा ब्लॉग पोस्ट और कविताएँ आज चर्चामंच पर हैं... आप अपने अमुल्य विचारों से अनुग्रहित कीजियेगा ..<br /><br />http://charchamanch.blogspot.com/2011/02/blog-post_18.htmlडॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-58634774839990492862011-02-16T20:08:59.506+05:302011-02-16T20:08:59.506+05:30एक याद जो बालू हो गई छूते ही
वहीं खो गए मेरे पदचिन...एक याद जो बालू हो गई छूते ही<br />वहीं खो गए मेरे पदचिन्ह<br />बौराई घूमती है एक गरम हवा<br />उधड़ेती सांसों को फेफड़ों से,<br /><br />बहुत खूब !स्वप्नदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-63420465014847536012011-02-16T20:02:40.046+05:302011-02-16T20:02:40.046+05:30अपने बगीचे में बाँध रखीं हैं घंटियाँ पेड़ों से
एका...अपने बगीचे में बाँध रखीं हैं घंटियाँ पेड़ों से<br />एकाएक मैं जाग उठता हूँ उनकी आवाजें रात में सुनकर<br />कहीं वे गुम ना हो जाएँ<br />मेरे वर्नकुलर शब्दों की तरह<br />****<br /><br /><br />vah...vah.....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-53773237696348760022011-02-16T19:08:24.298+05:302011-02-16T19:08:24.298+05:30bahut hi sundar kavitain hain, chayan aur prastuti...bahut hi sundar kavitain hain, chayan aur prastuti ke liye badhai evm aabhar.विजय गौड़https://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-74545665067739842522011-02-16T15:29:03.600+05:302011-02-16T15:29:03.600+05:30याद का बालू हो जाना
वाह …याद का बालू हो जाना <br />वाह …पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-45630395473669495672011-02-16T13:33:08.251+05:302011-02-16T13:33:08.251+05:30बड़ी ही सुन्दर कवितायें। सच है शब्द कोई खोजता नहीं...बड़ी ही सुन्दर कवितायें। सच है शब्द कोई खोजता नहीं, शब्द स्वयं ही प्रकट हो जाते हैं विचार श्रंखलाओं में।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com