tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post2857274009764781235..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: मंगलेश डबराल पर पंकज चतुर्वेदीUnknownnoreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-38744973174806876432009-03-18T17:29:00.000+05:302009-03-18T17:29:00.000+05:30Aalekh upyukt samay par aayaa hai. Bhai Pankaj Cha...Aalekh upyukt samay par aayaa hai. Bhai Pankaj Chaturvedi ko badhai. Aur kavivar Manglesh Dabral ko bhi Sath ka hone par.ve Deerghayu hon.--Dr.Om Nishchal Patna/Delhiओम निश्चलhttps://www.blogger.com/profile/12809246384286227108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-44489228294908869952009-03-17T09:28:00.000+05:302009-03-17T09:28:00.000+05:30अनुराग जी को बधाई क्योंकि आगे बढ़ने के फेर में भूल...अनुराग जी को बधाई क्योंकि आगे बढ़ने के फेर में भूल सा जाता हूं कि साहित्य का भी एक ठौर है, जहां सुस्ताया जा सकता है, बिना किसी संकोच के। बहरहाल...मगलेश जी की कविता के बारे में सुना भी था और अपने तईं कुछ जाना भी, लेकिन पंकज जी ने एक नई दृष्टि दी उनकी कविता पढ़ने के लिए, इसके लिए उन्हें धन्यवाद। पंकज जी से मेरा अजीब नाता है। मैं कानपुर में जिस स्कूल में पांच साल पढ़ा, पंकज जी उसके पड़ोस के कॉलेज में पढ़ाते हैं। जब में जेएनयू आया तो हिंदी सेंटर में उनकी और उनके समय के लोगों की तमाम दंतकथाएं सुनीं। एक बार ब्रह्मपुत्रा हॉस्टल के बाहर जिस पंकज से मिला, वो लेक्चरर कम और निराई करके लौट रहा किसान का बेटा ज्यादा लगा। ठेठ, खांटी और शहरी दिखने के आग्रह को ठेंगे पर रखता। <BR/>एक बार फिर से इस सुंदर आलेख के लिए शुक्रिया।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-26377624972299393172009-03-17T07:54:00.000+05:302009-03-17T07:54:00.000+05:30मंगलेश जी के व्यक्तित्व का अच्छा शब्द चित्र उकेरा ...मंगलेश जी के व्यक्तित्व का अच्छा शब्द चित्र उकेरा है आपने मगर यह एक मुश्किल सा ही काम है - महान भौतिकविद हीजेन्बर्ग का यह नियम यहाँ भी शायद लागू होता है कि आप किसी वस्तु विशेष के दो गुणों का वर्णन समान सटीकता के साथ एक साथ नही कर सकते -फिर मंगलेश जी जैसे जीवंत और मानवीयता से ओतप्रोत जीवंत संज्ञा के एक दो नहीं कई गुणों का एक साथ वर्णन कितना मुश्किल है यह आपने भी अनुभव किया होगा -अब जैसे उनकी विनम्रता और बौद्धिक उर्वरता को साथ साथ वर्णित करना बहुत मुश्किल है -ये दोनों गुण इतना संपृक्त हैं कि अलग अलग वर्णित नहीं हो सकते ! <BR/>मंगलेश जी की षष्टि पूर्ति पर मेरी उन्हें सम्मान सहित शुभकामनाएं ! जीवेम शरद शतं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-29776633127319276072009-03-16T23:38:00.000+05:302009-03-16T23:38:00.000+05:30ये सब खूबियां नहीं अपराध हैं और इसीलिए इन दिनों छि...ये सब खूबियां नहीं अपराध हैं और इसीलिए इन दिनों छिछले लोग उन्हें संगसार कर देना चाहते हैं।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-84587345225941323312009-03-16T23:12:00.000+05:302009-03-16T23:12:00.000+05:30आपका लेख पढ़ा तो है लेकिन टिप्पणी के लिए कुछ समय चा...आपका लेख पढ़ा तो है लेकिन टिप्पणी के लिए कुछ समय चाहिए।Prakash Badalhttps://www.blogger.com/profile/04530642353450506019noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-26534037283815491992009-03-16T22:46:00.000+05:302009-03-16T22:46:00.000+05:30badhiya aalekh,badhai.badhiya aalekh,badhai.pallavhttps://www.blogger.com/profile/03475995120391314299noreply@blogger.com