tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post2786050506572439641..comments2024-03-20T11:47:25.959+05:30Comments on सबद: अम्बर रंजना पाण्डेय की नई कविताUnknownnoreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-3769008116088837062012-05-01T19:26:58.256+05:302012-05-01T19:26:58.256+05:30एक नया आस्वाद..आपकी कविता में बाँधने का बांधे रखने...एक नया आस्वाद..आपकी कविता में बाँधने का बांधे रखने का जादू है..mahesh mishrahttps://www.blogger.com/profile/05444936923565480363noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-75013293237847981762011-10-07T18:49:19.640+05:302011-10-07T18:49:19.640+05:30वाह !
पहली लाइन से आखिर तक बांधे रखने में सक्षम है...वाह !<br />पहली लाइन से आखिर तक बांधे रखने में सक्षम हैं ये शब्द और ये भाव !<br />बढ़िया.<br />( महज़ को महज कर लें और बेवज़ह को बेवजह)बाबुषाhttps://www.blogger.com/profile/05226082344574670411noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-5181109259355267172011-10-06T08:53:51.969+05:302011-10-06T08:53:51.969+05:30तुम्हारी कविता मेरी सौत हैं तुम्हारी कविता बेहद बे...तुम्हारी कविता मेरी सौत हैं तुम्हारी कविता बेहद बेहद बुरी हैइससे बेहतर तो तुम जवाकुसुम लगाकरबांधते हो मेरी दो चोटियाँ... sundar lagi kavita..aur ye agrah bhi..leena malhotrahttp://www.facebook.com/leena.m.r.noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-48902891174698591752011-10-05T11:58:44.679+05:302011-10-05T11:58:44.679+05:30बात करना ऐसे जैसे अठ्ठारह सौ सत्तावन के बाद
लखनऊ क...बात करना ऐसे जैसे अठ्ठारह सौ सत्तावन के बाद<br />लखनऊ के शायर इश्क इश्क की<br />कनबतियां फूंकते थे गालों पर<br />फूंकते थे सिगरेट की तरह ..<br /><br />kya baat hai !<br /><br />कविता मत सुनाना.केवल बाँह<br />पकड़ लेना कसके, जोर दिखाना<br />मत करना बात लातिन-अमरीकी फिक्शन की<br />रूसी फलसफे इस्पहानी फोटोग्राफी की<br />जानकारियों की जो तुमने उस कमबख्त इन्टरनेट से<br />बीन बीन कर जमा कर ली <br />again...अरसे बाद पी हुई सिगरेट की पहली किक सा ..डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-6895084931635598902011-10-04T22:50:04.486+05:302011-10-04T22:50:04.486+05:30आज रवींद्रनाथ को पढ रहा था.कविता पर बात करते हुए व...आज रवींद्रनाथ को पढ रहा था.कविता पर बात करते हुए वे कहते हैं : <br /><br />"आनंद किसी को भी बलपूर्वक नहीं दिया जा सकता. कुसुम पुष्प से कोई उसका रंग निकालता है,कोई तेल निकालने के लिए उसका बीज निकालता है, कोई मुग्ध नेत्रों से उसकी शोभा निहारता है. काव्य के भीतर से कोई इतिहास खींचता है,कोई दर्शन स्थापित करता है,कोई नीति तो कोई विषय-ज्ञान का उद्घाटन करता रहता है, और कोई काव्य में से काव्य छोड़कर और कुछ भी नहीं निकाल पाता -- जिसे जो मिला वही ले संतुष्ट मन से घर लौट सकता है -- किसी के साथ विरोध की कोई आवश्यकता नहीं समझता, विरोध का कोई लाभ नहीं."<br /><br />कौन बिंब को लेकर क्या सोचता है/सोच रहा है,इसे भूल कर अंबर को अपने कवि के साथ चलना चाहिए. मैं फिर से कहूंगा कि नई पीढ़ी के कवियों में वे अलहदा किस्म के कवि हैं -- संभावनाओं से भरे-पूरे कवि .Priyankarhttps://www.blogger.com/profile/13984252244243621337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-6677235816169607882011-10-04T18:28:08.653+05:302011-10-04T18:28:08.653+05:30बहुत अच्छी कविता .......... अम्बर रंजना पाण्डेय को...बहुत अच्छी कविता .......... अम्बर रंजना पाण्डेय को बधाई.......इसे पढ़ते पढ़ते अपनी एक कविता याद आ गयी ...... कैसे कह दूँ / बचा ही लूँगा / नाखूनों में धरती / सांसों में आकाश / इतना बड़ा कवि नहीं हूँ मैं............pradeep sainihttps://www.blogger.com/profile/01713398453259407318noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-77159445185044570982011-10-03T22:37:07.845+05:302011-10-03T22:37:07.845+05:30कविता ने एक लम्बी यात्रा तय की है, एक आयाम आपका भी...कविता ने एक लम्बी यात्रा तय की है, एक आयाम आपका भी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7056011166391074188.post-20570428175949726292011-10-03T20:01:42.134+05:302011-10-03T20:01:42.134+05:30बहुत सुन्दर ... बस पढ़ते जाओ... समझते जाओ ... और म...बहुत सुन्दर ... बस पढ़ते जाओ... समझते जाओ ... और महसूस करते जाओ ... कविता के किसी नियम के बारे में बात किए बगैर. कुछ कहना माने टिप्पणी करना मुश्किल है ... बहुत मुश्किल... अम्बर रंजना पाण्डेय आपकी कवितायें सुन्दर है उन सभी पुरानी कविताओं की तरह, अनुराग जी शुक्रिया<br /><br />--Navin rangiyalhttps://www.blogger.com/profile/14472010320875454612noreply@blogger.com